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भ्रमर गीत

हाँ, भौंरा हूँ मैं, गुनगुनाना ही मेरा काम है।

न कोई घर-द्वार है मेरा

न कोई थौर-ठिकाना है।

उड़ता रहता आवारा-सा मैं

किसने पता मेरा जाना है।

फूल सदा ही खिले रहे, यही मेरा अरमान है,

हाँ, भौंरा हूँ मैं, गुनगुनाना ही मेरा काम है।

मैं ठहरा सौन्दर्य पुजारी

मधुरता का उपासक हूँ।

फूलों के गिर्द मँडराने वाला

मधु-अमृत का याचक हूँ।

चाह नहीं कुछ और, वन-गुलशन मेरा जहान है

हाँ, भौंरा हूँ मैं, गुनगुनाना ही मेरा काम है।

इस डाली से उस डाली तक

कलियों को खिलाते चलता हूँ।

'छोड़ो गम को भूल जाओ दुःख'

यही गीत मैं गाया करता हूँ।

फूल ही ईश्वर, पूजा फूल, फूल ही मेरे प्राण हैं

हाँ, भौंरा हूँ मैं, गुनगुनाना ही मेरा काम है।

 

- जयदीप दास

 

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"मानव जिस ल्क्ष्य में मन लगा देता है, उसे वह श्रम से प्राप्त कर लेता है।"

 - ऋग्वेद