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मॉडर्न स्टूडेण्ट

निकल पड़े जब साइकिल लेकर

रात हुई घर आते हैं।

इम्तहान की हर कॉपी पर

बबुआ जीरो पाते हैं।

 

माँ समझीं स्कूल गया है

कितनी मेहनत करता है।

पर बेटा तो रात गये तक

पान चबाये फिरता है।

 

पिता गये हैं काम से बाहर

तो इनकी तो खैर हुई।

बदनाम हुआ नाम गुरु का

चलचित्रों की सैर हुई।

 

करने को निर्माण जगत का

भार जब इनपर आयेगा।

तब बिलख कर रोयेंगे

नहीं कुछ समझ में आयेगा।

 

- शशीकान्त 'पिण्टू'

 

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"अज्ञान मन की रात है, लेकिन ऐसी रात, जिसमें न चाँद है न तारे।"

- कंफ्यूशियस